सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ का जीवन परिचय और रचनाएँ

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आज की इस पोस्ट में हम हिंदी साहित्य जगत में महाकवि नाम से जाने जाने वाले कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हैं।

इन्हे इनके विलक्षण व्यक्तित्व के कारण निराला जी हिंदी काव्य जगत के सम्राट माने जाते हैं।

सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ का जीवन परिचय ( Suryakant Tripathi ‘Nirala’ ka jeevan parichay)

सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का जीवन परिचय और रचनाएँ

मुक्त छंद के प्रवर्तक महाकवि निराला का जन्म 21 फरवरी 1899 में बंगाल के मेदिनीपुर जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित राम सहाय त्रिपाठी था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा राज्य की ही विद्यालय हुयी थी।

बचपन से इन्हे कुश्ती घुड़सवारी और खेलो बहुत अधिक रूचि थी।

बाल्य अवस्था में ही उन्हके माता पिता की देहांत हो गया। निराला जी को बांग्ला और हिंदी साहित्य का अच्छा ज्ञान था। उन्होंने संस्कृत और अंग्रेजी का भी अध्ययन किया था।

निराला जी को रतीय दर्शन में उनकी विशेष रूचि थी। बंगला भाषा और हिंदी साहित्य का अच्छा ज्ञान था।


पंडित महावीर प्रसाद द्विवेदी सिवान के सहयोग से समन्वय और मतवाला का संपादन किया। उनकी कविता जूही की कली अपने कार्य में कांति कर दिया।

निराला जी को बार-बार आर्थिक कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा था आर्थिक चिंताओं के बीच में इनकी पुत्री सरोज का देहांत हो गया। इस पर उन्होंने सरोज स्मृति नाम कविता में लिखा –


दुख ही जीवन की कथा रही, क्या कहें आज जो नहीं कही।
कन्ये, गत कर्मों का अर्पण, कर सकता मैं तेरा तर्पण।।

दुख और कष्ट से भरे हुए इनकी व्यक्तित्व में स्वाभिमान की मात्रा बहुत अधिक थी। निराला जी बहुत स्पष्टवादी की थे और स्वामी रामकृष्ण परमहंस विवेकानंद से बहुत प्रभावित थे।

उनकी कविताओं में छायावाद और प्रतिवाद के आधारलिखी गयी है। सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ 15 अक्टूबर 1961 दिन का देहांत हो गया।


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वास्तविक नाम (Real Name)सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ (Suryakant Tripathi ‘Nirala’)
पेशा (Profession )कवि, लेखक
जन्म (Date of Birth) 21 फरवरी 1899
निधन ( Death )15 अक्टूबर 1961
जन्मस्थान (Birth Place) बंगाल (मेदिनीपुर जिला )
प्रमुख रचनाएं कामायनी,लहर, झरना, आंधी, इंद्रजाल, प्रतिध्वनी आकाशदीप आदि
परिवार ( Family )पिता ( Father ) – पंडित राम सहाय त्रिपाठी।
माता (Mother ) –
ज्ञात नहीं
धर्म (Religion )हिन्दू

सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ का साहित्यिक परिचय

महाकवि निराला का उदय छायावाद कवि के रूप में हुआ। इन्होंने कोमल एवं मधुर भाव पर आधारित छायावादी कविताओं के सृजन से अपनी लेखनीको जीवन प्रारंभ किया परंतु काल की क्रूरता ने एक विद्रोही बना दिया।

निराला जी ने सरस्वती और मर्यादा पपत्रिकाओं का निरंतर अध्ययन करके हिंदी का ज्ञान प्राप्त किया।

साहित्यिक जीवन का जीवन की शुरुआत मातृभूमि की वंदना नाम की एक कविता की रचना से किया।
1921 में इनका एक लेख सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित हुआ इसके उपरांत कविता के जूही की कली की रचना करके उन्होंने हिंदी जगत में अपनी पहचान बना ली।

छायावादी लेखकों के रूप में जयशंकर प्रसाद और पंत महादेवी वर्मा के साथ ही इनकी गणना की जाती है। यह छायावाद के चार कवियों में एक माने जाते हैं।

प्रगतिवादी विचारधारा की ओर उन्मुख होने पर इन्होंने शोषित पीड़ित वर्ग की व्यथा को स्वर प्रदान किया।


सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की रचनाएँ ( Suryakant Tripathi ‘Nirala’ ki rachnaye)

निराला बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार थे कविता के अलावा उन्होंने उपन्यास कहानियां निबंध आलोचना एवं संस्मरण की काव्य रचना की अपनी रचनाओं में इहोने निम्न वर्ग के प्रति गहरी सहानुभूति दिखाई

सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी के अन्य विधाओं की साहित्यिक रचना इस प्रकार है –

काव्य – संग्रह – अनामिका,परिमल, गीतिका, कुकुरमुत्ता, अणिमा, बेला, नये पत्ते, अर्चना, आराधना, गीत कुंज, अपरा।

उपन्यास- अप्सरा, अलका, इन्दुलेखा, चमेली (अपूर्ण)
कहानी संग्रह – लिली, सखी सुकुल की बीवी
निबन्ध-आलोचना – प्रबंध प्रतिमा,चाबुक, चयन, संग्रह।


सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की भाषा शैली

निराला जी ने अपनी रचनाओं में शुद्ध परिमार्जित खड़ी बोली का प्रयोग किया है। विदेशी भाषा के प्रयोग भी अनेक स्थानों पर किया है। इनके काव्य भाषा में अनेक तत्सम शब्दों का प्रयोग हुआ है.

उनकी भाषा शैली सरल एवं व्यवहारीक है। निराला जी ने अपनी रचनाओं के सृजन में न्यूनतम कठिन तथा सरल एवं सुबोध शैली का प्रयोग किया है।

FAQs

सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?

सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ का जन्म 21 फरवरी 1899 में बंगाल के मेदिनीपुर जिले में हुआ था।

सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’किस युग के कवि हैं ?

सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ आधुनिक युग / काल के कवि हैं।

जरूर जानें –

Conclusion

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